कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन का एक और खेल पकड़ा गया है। घर घर से कूड़े का उठान नहीं हो रहा है और जांच से सामने आया है। चौदह नवंबर को नगर निगम के विभिन्न जोनों में 68 वाहन सड़क पर निकले ही नहीं। इन वाहनों से ही घर घर से कूड़ा एकत्र किया जाता है। लिहाज़ा लोगों को कूड़े को इधर-उधर फेंकना पड़ा, जबकि 13 नवंबर को 39 वाहन कूड़ा एकत्र करने नहीं निकले। कंपनी का निगरानी तंत्र कमज़ोर होने से ही कूड़े लेने गाड़ियां नहीं जा रही हैं और शहरवासियों को इंतज़ार करने के बाद कूड़े को कहीं फेंकना पड़ रहा है। खास बात यह है कि 13 नवंबर को 39 वाहन कम मिलने के बाद कंपनी को अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह की तरफ से सचेत भी किया गया था, लेकिन सुधार के बजाय कंपनी लगातार मनमानी कर रही है।
कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स ईको ग्रीन पर जुर्माने और कार्रवाई का कोई असर नहीं दिख रहा है। नगर निगम भी अनुबंध खत्म करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि शासन से कंपनी का अनुबंध है। कूड़ा एकत्र करने के लिए पोर्टेबल काम्पेकटर मशीनें तक खराब रहती हैं। सड़कों कूड़ा बिखरा होने पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने मेसर्स ईको ग्रीन के कर्मचारियों को फटकार लगाई थी। महापौर ने यहां तक टिप्पणी की थी कि वह जब भी शहर में निकलती हैं तो उन्हें जगह-जगह कूड़े के ढेर नज़र आते हैं।